तो हुवा यूं, एक आदमी उसके परिवार के साथी रविवार को IKEA स्टोर गया। पहली बार गया था तो बड़ी उत्सचुकता थी की क्या होता है कैसा होता है।
जानेके बाद और घूमने के बाद उसे लगा के यहां पर जो दाम है उस हिसाब से क्वालिटी तो बोहोत बढ़िया है पर लेना ना लेना बाद में सोचा जाएगा।
बाहर भी तो देखेंगे । तो उसने कुछ खरीदा नहीं बस घूम के आगया।
घर आनेके बाद पड़ोसी मिलने आया था तो उसके घर चला गया। पड़ोसी के घर में और एक पहचान वाली फैमिली भी बैठी थी। वैसे तो वो हर शाम वहीं पर रहते थे ।
तो बातों बातों में इसने बोला के आज भाई मैं IKEA Gaya था। मिडल क्लास आदमी ये भूल गया के IKEA जाने के लिए अमीर बनना पड़ता है और नही तो अमीर हो ऐसे दिखाना भी पड़ता है। जरूरत के लिए नहीं दिखानेकेलिये ऐसे स्टोर में जाते है।
खैर, जैसे ही उसने ये बोला बिना पलके झपकाए भाभी जी कुत्सित भाव से बोली भैय्या क्या क्या खरीदा IKEA से?
वो बेचारा सीधा आदमी बोला भाभी कुछ नही खरीदा बस देखके आ गए।
तो क्या कहने थे शूर्पणखा के बाद पहली बार दो औरातोंको उसने इतने जोर से ठहाके लगाते हंसते देखा। और जैसे की अपनी जगह से हिल ही गया।
फिर उसे समझ आया के ये प्रेस्टीज वाला मामला लग रहा है।
वो घर आया और अपनी बीवी से बोला ये भाभी लोग बड़ी अजीब तरह से हस रही थी क्या तुम भी नाराज हो मैं कुछ खरीद कर नही लाया।
बीवी बोली हमे खरीदना दूसरोंके लिए है या अपनी जरूरतों के लिए? हमे जहां ठीक लगेगा वहां पर खरीदेंगे आप उनकी बातों पर ध्यान मत दीजिए। वैसे भी उनके शौहरोंके बारे में सोचिए। और वैसे भी उनके घर में मैंने भी आज तक कोई IKEA वाली चीज नही देखी तो वो तो हर महीने वहां पर जाके आती है।
तो इस घटना से मुझे ये प्रतीत हूवा के, आपको दूसरोंकी राय पर खुदकी खुशी नहीं ढूंढनी चाहिए, अमीरी या गरीबी सभी स्टेट ऑफ माइंड है।
जो अपने आप में खुश है वो खरीदी हुई चीजों से खुश नहीं हो सकता।
और यहां से एक बात , जब भी भाभी घरमे हो तब बड़ी बड़ी लंबी फेंको और मजे देखो। हम भी कम है क्या? बोलने में क्या हर्ज है, खरीदना थोड़ी ना है। 🤣😂🤣😂🤣😂
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